8 अप्रैल 1929 के असेम्बली बम कांड का समाचार जिसमें भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त का चित्र दिखाई दे रहा है |
हिरासत में भगतसिंह, यह चित्र का क्लोज अप है |
भगतसिंह का एक जलरंग से बना चित्र |
|
|
|
30 अक्टूबर 1928 को ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त साइमन कमीशन के विरोध में लाला लाजपत राय के नेतृत्व में एक अहिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ। इस जुलूस पर पुलिस के हमला में पुलिस सुपरिंटेंडेंट स्कॉट की लाठियों से घायल लाजपत राय की मृत्यु हो गयी। भगत सिंह और उनके साथियों ने इसका बदला लेने के लिए कार्रवाई की। इस कारवाई में 17 दिसम्बर 1928 को स्कॉट की जगह पर उसका सहायक सौंडर्स मारा गया। लाहौर की पुलिस से बचने के लिए भगत सिंह ने अपने केश और दाढ़ी कटा ली और हैट लगाकर वेश बदलकर लाहौर से निकल गए। हैट लगाये भगतसिंह का यह चित्र जो वास्तव में उनका छद्मवेश का था, 8 अप्रैल 1929 के असेम्बली बम कांड के बाद अखबारों में प्रकाशित होने से भगतसिंह की पहचान बन गया। |
बार बार छापने और सुधारे जाने के चलते इसी चित्र के कई रूप हो गए। यह दूसरा रूप है। मूल छायाचित्र 8 अप्रैल 1929 के असेम्बली बम कांड से पहले रामनाथ द्वारा दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित स्टूडियो में लिया गया था। |
यह उसी चित्र का तीसरा रूप है। |
|
|
|
भगतसिंह के सर्वाधिक प्रसिद्द चित्र के आधार पर बना यह रेखाचित्र वीरेंद्र संधू की पुस्तक 'युगद्रष्टा भगत सिंह और उनके मृत्युंजय पुरखे', (ज्ञानपीठ प्रकाशन, 1968) के एक संस्करण के आवरण में प्रकाशित हुआ था। उसके बाद वह अनगिनत पर्चों और पुस्तिकाओं में छपा। |
भगतसिंह : एक तैलचित्र |
भगतसिंह का हस्ताक्षर |
|
|
|
न्यू यार्क के 'डेली वर्कर' में भगतसिंह और उनके साथियों को मृत्युदंड दिए जाने का समाचार |
भगतसिंह का 16-17 वर्ष की उम्र का चित्र जब वे नेशनल कालेज, लाहौर के छात्र थे। |
लाहौर के अखबार 'दी ट्रिब्यून' में भगतसिंह और उनके साथियों को मृत्युदंड दिए जाने का समाचार |
|
|
|